श्री कृष्ण महामंत्र
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः ॥
Om Krishnay Vasudevay Haraye Paramatmane I Pranatah Kleshanashay Govinday Namo Namah II
मंत्र का अर्थ:
“ॐ, मैं भगवान श्री कृष्ण को प्रणाम करता हूँ, जो वासुदेव के पुत्र हैं और जो परमात्मा हैं। जिनके समक्ष सब दुःख समाप्त हो जाते हैं, उन्हें बार-बार प्रणाम करता हूँ, जो गोविंद कहलाते हैं।”
विवरण:
ॐ: यह एक पवित्र ध्वनि है, जो ब्रह्मांड के साथ एकता और शांति का प्रतीक है।
कृष्णाय वासुदेवाय: श्री कृष्ण को वासुदेव के रूप में पूजा जाता है। वासुदेव भगवान का एक नाम है, जो उनके दिव्य गुणों और उनके पिता वासुदेव से जुड़ा हुआ है।
हरये परमात्मने: भगवान कृष्ण को हरि कहा जाता है, जो सबके दुखों को नष्ट करने वाले परमात्मा हैं।
प्रणतः क्लेशनाशाय: भगवान कृष्ण उन सभी दुखों और क्लेशों को समाप्त करने वाले हैं।
गोविंदाय नमो नमः गोविंद भगवान के एक और नाम हैं, जो जगत के पालनकर्ता और गायों के रक्षक माने जाते हैं। इस वाक्य में श्रद्धा भाव से उन्हें बार-बार प्रणाम किया गया है।
यह श्लोक भगवान श्री कृष्ण की महिमा का गान करता है और उनके दिव्य रूपों की स्तुति करता है।
श्लोक का जाप करने की विधि:
स्थान और आसन:
पहले एक शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
आप अपने पूजा स्थान या किसी शांत स्थान पर बैठ सकते हैं।
यदि संभव हो तो सुखासन (आसन पर बैठे) या पद्मासन में बैठें, ताकि आपकी पीठ सीधी रहे और आप आराम से मंत्र जाप कर सकें।
माल या अंगूठी का उपयोग:
यदि आप नियमित रूप से मंत्र जाप करते हैं, तो आप माल (जपमाला) का उपयोग कर सकते हैं।
108 मनकों वाली माला सबसे आम है, लेकिन आप इसे कम या ज्यादा मनकों के साथ भी उपयोग कर सकते हैं।
हर एक माला पर 108 बार जाप करने का प्रयास करें। यह आदर्श रूप से एक पूर्ण जाप होता है।
मन की स्थिति:
जाप से पहले मन को शांत करें। कुछ देर तक गहरी श्वास लें और फिर ध्यान को भगवान श्री कृष्ण की छवि पर केंद्रित करें।
अगर आप मानसिक रूप से अशांत हैं, तो कुछ देर ध्यान (मेडिटेशन) करें।
ध्यान और जाप:
मंत्र को धीरे-धीरे, स्पष्ट और स्पष्ट उच्चारण के साथ जाप करें।
मंत्र को “ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने” इस प्रकार से उच्चारण करें।
ॐ: इस ध्वनि से आपकी आत्मा भगवान से जुड़ती है। इसे शांतिपूर्वक उच्चारित करें।
कृष्णाय वासुदेवाय: यह श्री कृष्ण के नामों का उच्चारण है, इसे श्रद्धा के साथ बोलें।
हरये परमात्मने: यह भगवान के परम रूप का उल्लेख करता है।
प्रणतः क्लेशनाशाय: यह भगवान के दयालु और हमारे दुखों को नष्ट करने वाले रूप का गुणगान करता है।
गोविंदाय नमो नमः अंत में, श्री कृष्ण के गोविंद रूप को नमन करें, जो सृष्टि के पालनकर्ता और सबके रक्षक हैं।
स्वर और गति:
जाप में स्वर का ध्यान रखें, प्रत्येक शब्द स्पष्ट रूप से उच्चारित हो।
आप मंत्र को धीमी गति से या थोड़ा तेज भी बोल सकते हैं, परंतु शब्दों की स्पष्टता बहुत ज़रूरी है।
संगति बनाए रखें, जैसे कि हर मनके के साथ एक पूरा मंत्र या आधा मंत्र का जाप करें।
मानसिक जाप (ध्यान के साथ):
यदि आप माला का उपयोग नहीं कर रहे हैं, तो आप मानसिक रूप से भी जाप कर सकते हैं, यानि मंत्र को सिर्फ अपने मन में सोचते हुए जाप करें।
ध्यान रखें कि आपका मन पूरी तरह से भगवान में लीन हो और कोई अन्य विचार न आए।
समाप्ति:
108 बार जाप पूरा करने के बाद, धन्यवाद या प्रणाम करके जाप को समाप्त करें।
अगर आप अधिक समय तक जाप करना चाहते हैं, तो 108 के गुणक के हिसाब से माला का पूरा चक्कर पूरा करें (जैसे 108, 216, 324 आदि)।
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
समय: विशेष समय पर मंत्र जाप करना अधिक फलदायी होता है। प्रातः काल या संतानानंद समय (संध्या) में जाप करना श्रेष्ठ माना जाता है।
ध्यान और भावना: मंत्र जाप करते समय भावना और श्रद्धा का होना बहुत महत्वपूर्ण है। अपने मन में भगवान श्री कृष्ण के रूपों और गुणों की कल्पना करें।
आत्मविश्वास: विश्वास और श्रद्धा के साथ किए गए जाप का विशेष लाभ होता है। अपने दिल से भगवान को प्रणाम करते हुए मंत्र जाप करें।
जाप का लाभ:
आध्यात्मिक लाभ: मन की शांति, ध्यान की शक्ति, और भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
भक्ति का समृद्धि: जब आप भगवान कृष्ण के नाम का जाप करते हैं, तो भक्ति का मार्ग सरल होता है।
दुःखों से मुक्ति: यह श्लोक क्लेशों को नष्ट करने के लिए जपा जाता है, जो जीवन में शांति और सुख लाने में मदद करता है।