Featured Video Play Icon

जैसे सूरज की गर्मी से । Jaise Suraj Ki Garmi Se

जैसे सूरज की गर्मी से, जलते हुए तन को, मिल जाये तरुवर की छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम ।

भटका हुआ मेरा मन था कोई, मिल ना रहा था सहारा
लहरों से लड़ती हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा
उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो किसी ने किनारा दिखाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम ।

शीतल बने आग चंदन के जैसी, राघव कृपा हो जो तेरी
उजियाली पूनम की हो जाए रातें, जो थी अमावस अंधेरी
युग युग से प्यासी मरूभूमी ने जैसे सावन का संदेस पाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम ।

जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो, उस पर कदम मैं बढ़ाऊँ
फूलों में खारों में, पतझड़ बहारों में, मैं ना कभी डगमगाऊँ
पानी के प्यासे को तकदीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम ।

Share your love