हरतालिका तीज : पूजा विधि और व्रत कथा। Hartalika Teej Vrat Katha

हरतालिका तीज 2025 कब है?

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह व्रत मंगलवार, 26 अगस्त 2025 को रखा जाएगा। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना से किया जाता है।


हरतालिका तीज का महत्व (Hartalika Teej Significance)

  • सुहागिन स्त्रियाँ अपने दांपत्य जीवन की खुशहाली और पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं।
  • अविवाहित कन्याएँ इच्छित वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।
  • इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।

हरतालिका तीज व्रत क्यों किया जाता है?

पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने कठोर तप करके और मिट्टी का शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया। तभी से इस व्रत पर मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करने की परंपरा है।


हरतालिका तीज व्रत सामग्री (Puja Samagri)

पूजा के लिए यह सामग्री आवश्यक मानी जाती है –

  • मिट्टी से बने शिवलिंग और माता पार्वती की प्रतिमा
  • चौकी, लाल या हरे रंग का कपड़ा
  • रोली, हल्दी, चंदन, पुष्प और बेलपत्र
  • दीपक, धूप, नैवेद्य और प्रसाद
  • फल, मिठाई और पंचामृत
  • माता गौरी के सोलह श्रृंगार की सामग्री (सिंदूर, काजल, मेहंदी, चूड़ियां, चुनरी, बिंदी, कंघी, बिछिया, महावर आदि)

हरतालिका तीज पूजा विधि (Hartalika Teej Puja Vidhi)

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र (लाल/हरे) पहनें।
  2. चौकी पर कपड़ा बिछाकर शिव-पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा और शिवलिंग स्थापित करें।
  3. सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करें।
  4. अब गौरी-शंकर की पूजा करें और नैवेद्य अर्पित करें।
  5. माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
  6. हरतालिका तीज व्रत कथा सुनें।
  7. रात्रि में जागरण करें और अंत में आरती कर प्रसाद बांटें।

माता पार्वती श्रृंगार विधि (Mata Parvati Shringar Vidhi)

माता पार्वती का सोलह श्रृंगार करना शुभ माना गया है –

  • सबसे पहले माता को सिंदूर चढ़ाएं।
  • इसके बाद काजल और चूड़ियां अर्पित करें।
  • माता को लाल चुनरी ओढ़ाएं।
  • फिर महावर, बिछिया, मेहंदी और अन्य श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं।

हरतालिका तीज की व्रत कथा (Hartalika Teej Vrat Katha)

एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से निवेदन किया –
“हे प्रभु! मुझे बताइए कि किस व्रत के प्रभाव से मैंने आपको पति रूप में पाया।”

भगवान शिव बोले –
“हे देवी! यह हरतालिका तीज व्रत सर्वोत्तम है। तुम्हारे बाल्यकाल में तुम्हारे पिता हिमवान ने तुम्हारा विवाह विष्णु जी से करने का निश्चय किया। परंतु तुमने मन ही मन मुझे ही पति रूप में स्वीकार किया था।

तुम अपनी सखियों के साथ वन में चली गईं और कठोर तप करने लगीं।

बारह वर्षों तक तुमने विभिन्न प्रकार के तप किए। वैशाख में अग्नि में बैठकर, माघ में हिम में खड़े होकर, श्रावण में वर्षा में भीगते हुए और कार्तिक में जल में रहकर तपस्या की।

भाद्रपद शुक्ल तृतीया के दिन तुमने मिट्टी का शिवलिंग बनाकर मेरी पूजा की और रात्रि को जागरण किया।

तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न होकर मैं प्रकट हुआ और तुमसे कहा –
‘हे वरानने! मैं तुमसे प्रसन्न हूँ, मनचाहा वर मांगो।’

तब तुमने कहा –
‘हे प्रभु! यदि आप प्रसन्न हैं तो मुझे अपना वरण करें।’

मैंने ‘तथास्तु’ कहा और कैलाश लौट गया।

इसी बीच तुम्हारे पिता हिमवान तुम्हें खोजते-खोजते वहाँ पहुँचे। उन्होंने तुम्हें देखकर कहा –
‘बेटी! तुम इस घने वन में क्यों आई हो?’

तब तुमने कहा –
‘पिताजी! मैंने अपना तन-मन भगवान शिव को समर्पित कर दिया है। यदि आप किसी और से मेरा विवाह करेंगे तो मैं उसे स्वीकार नहीं करूंगी।’

यह सुनकर हिमवान ने तुम्हें गले लगाया और कहा –
‘बेटी! मैं तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध कार्य नहीं करूँगा।’

फिर तुम्हारा विवाह मुझसे (भगवान शिव से) सम्पन्न हुआ।

चूंकि उस समय तुम्हारी सखियाँ तुम्हें हरकर वन में ले गई थीं, इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ा।”


हरतालिका तीज व्रत का फल (Hartalika Teej Vrat Benefits)

  • विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु की प्राप्ति होती है।
  • अविवाहित कन्याओं को इच्छित वर प्राप्त होता है।
  • स्त्रियों का दांपत्य जीवन सुखमय और समृद्ध होता है।
  • इस व्रत से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
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