समस्त रोगों और शोक काे नष्ट करती है माता
मां कुष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां कुष्मांडा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।
पूजा का विधान
नवरात्र के चौथे दिन देवी मां को कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से पुकारा जाता है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है।
इस देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए ये अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इस देवी का वाहन सिंह है। संस्कृति में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं इसलिए इस देवी को कुष्मांडा। इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही चमकीली है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है।
मां की उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में चतुर्थ दिन इसका जाप करना चाहिए।
कुष्मांडा माता की आरती
माँ आरती तेरी गाते, माँ आरती तेरी गाते
कुष्मांडा महामाया, कुष्मांडा महामाया, हम तुमको ध्याते
माँ आरती तेरी गाते ….
माँ आरती तेरी गाते, माँ आरती तेरी गाते
कुष्मांडा महामाया, कुष्मांडा महामाया, हम तुमको ध्याते
माँ आरती तेरी गाते ….
है जगदम्ब दयामयी, आदि स्वरूपा माँ, है आदि स्वरूपा माँ
देव ऋषि मुनि ज्ञानी, देव ऋषि मुनि ज्ञानी, गुण तेरे गाते
माँ आरती तेरी गाते ….
कर ब्रह्माण्ड की रचना, कुष्मांडा कहलाये, माँ कुष्मांडा कहलाये
वेद पुराण भवानी, वेद पुराण भवानी, सब यही बतलाते
माँ आरती तेरी गाते ….
सूर्य लोक निवासिनी, तुमको कोटी प्रणाम, माँ तुमको कोटी प्रणाम
सम्मुख तेरे पाप और, सम्मुख तेरे पाप और, दोष ना टिक पाते
माँ आरती तेरी गाते ….
अष्ट भुजे महाशक्ति, सिंह वाहिनी है तू, माँ सिंह वाहिनी है तू
भव सिंधु से तरते, भव सिंधु से तरते, दर्शन जो पाते
माँ आरती तेरी गाते ….
अष्ट सिद्धि नौ निधियाँ, हाथ तेरे माता, है हाथ तेरे माता
पा जाते है सहज ही, पा जाते है सहज ही, जो तुमको ध्याते
माँ आरती तेरी गाते ….
शास्त्र विधि से विधिवत, जो पूजन करते, माँ जो पूजन करते
आदि शक्ति जगजननी, आदि शक्ति जगजननी, तेरी दया पाते
माँ आरती तेरी गाते ….
नवदुर्गो में मैया, चौथा स्थान तेरा, माँ चौथा स्थान तेरा
चौथे नवरात्रे की, चौथे नवरात्रे की, भक्त तुझे ध्याते
माँ आरती तेरी गाते ….
आधि व्याधि सब हरके, सुख समृद्धि दो, माँ सुख समृद्धि दो
हे जगदम्बे भवानी, हे जगदम्ब भवानी, इतनी दया करदो
माँ आरती तेरी गाते ….
कुष्मांडा जी की आरती, जो कोई गावे, माँ जो कोई गावे
कहत शिवानंद स्वामी, कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे
माँ आरती तेरी गाते ….
माँ आरती तेरी गाते, माँ आरती तेरी गाते
कुष्मांडा महामाया, कुष्मांडा महामाया, हम तुमको ध्याते
माँ आरती तेरी गाते ….
माँ आरती तेरी गाते, माँ आरती तेरी गाते
कुष्मांडा महामाया, कुष्मांडा महामाया, हम तुमको ध्याते
माँ आरती तेरी गाते ….