ॐ भूर्भुवः स्वः ।
तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि ।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
“Om Bhur Bhuvah Swah
Tat Savitur Varenyam
Bhargo Devasya Dheemahi
Dhiyo Yo Nah Prachodayaat”
गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) संस्कृत का एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रसिद्ध मंत्र है, जो ऋग्वेद से लिया गया है। इसका उच्चारण और अर्थ आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शुद्धता के लिए किया जाता है।
गायत्री मंत्र का हिंदी अर्थ:
ॐ – परमात्मा (सर्वशक्तिमान ईश्वर) का पवित्र नाम।
भूः – पृथ्वी लोक (स्थूल शरीर/जीवन की ऊर्जा)
भुवः – अंतरिक्ष लोक (प्राण/जीवन शक्ति)
स्वः – स्वर्ग लोक (आत्मिक/आध्यात्मिक चेतना)
तत् – वह (परमात्मा)
सवितुः – जो सृष्टि के रचयिता हैं, सविता (सूर्य देवता)
वरेण्यं – जो पूजनीय है, वरण करने योग्य (सबसे श्रेष्ठ)
भर्गः – दिव्य तेज, पवित्रता
देवस्य – उस दिव्य देवता का
धीमहि – हम ध्यान करते हैं
धियो – बुद्धि को
यो – जो
नः – हमारी
प्रचोदयात् – प्रेरित करें, मार्गदर्शन करें
सरल हिंदी में भावार्थ:
हम उस परमात्मा के पवित्र, दिव्य और पूजनीय प्रकाश का ध्यान करते हैं, जो तीनों लोकों (भू, भुवः, स्वः) के स्वामी हैं। वह ईश्वर हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें।
गायत्री प्रेरित काव्य
ये गायत्री प्रेरित काव्य भी काफी प्रचलित है जो कि गायत्री मंत्र के भाव को काव्यात्मक रूप से प्रस्तुत करती है :
from fpdf import FPDF # Create a custom PDF class class PDF(FPDF): def header(self): self.set_font(“Arial”, “B”, 14) self.cell(0, 10, “गायत्री मंत्र”, ln=True, align=”C”) self.ln(5) def footer(self): self.set_y(-15) self.set_font(“Arial”, “I”, 8) self.cell(0, 10, f”Page {self.page_no()}”, 0, 0, “C”) # Create PDF instance pdf = PDF() pdf.add_page() pdf.set_font(“Arial”, “”, 14) pdf.multi_cell(0, 10, “”” ॐ भूर्भुवः स्वः । तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ सरल हिंदी में भावार्थ: हम उस परमात्मा (सविता देव) के पवित्र, दिव्य और पूजनीय प्रकाश का ध्यान करते हैं, जो तीनों लोकों (भूः, भुवः, स्वः) के स्वामी हैं। वह ईश्वर हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें। भावात्मक स्तुति (काव्यात्मक रूप): तेरा महान तेज है, छाया हुआ सभी स्थान। सृष्टि की हर वस्तु में, हो रहा तू विद्यमान। तेरा ही करते ध्यान हम, माँगते तेरी दया, प्रभु हमारी बुद्धि को, श्रेष्ठ मार्ग पर चला।। “””) # Save PDF pdf.output(“Gayatri_Mantra_Stuti.pdf”)तेरा महान तेज है, छाया हुआ सभी स्थान। सृष्टि की हर वस्तु में, हो रहा तू विद्यमान।
तेरा ही करते ध्यान हम, माँगते तेरी दया, प्रभु हमारी बुद्धि को, श्रेष्ठ मार्ग पर चला।।